Friday, June 24, 2016

कैसे तबाह हुआ था जापान

इस संदर्भ में आज मैं आपको यह बताऊंगा कि अमेरिका ने किस तरह से जापान पर परमाणु बम गिराया था। 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था उस समय प्रातः काल का समय था सुबह सुबह सभी लोग उठकर अपने काम में लगे थे। राष्ट्रीय सुरक्षा दल के कार्यकर्ता एवं उच्च कक्षाओं के छात्र नगर की घनी बस्तियों में मकान तोड़ने के कारण इकट्ठे हो रहे थे, क्योंकि नगरपालिका ने यह फैसला सुनाया था कि नगर की घनी आबादी वाले क्षेत्रों के मकान गिरा दिए जाएं जिससे शत्रु द्वारा की जाने वाली बमबारी से लगने वाली आग का प्रभावशाली ढंग से मुकाबला किया जा सके। यह सब चल ही रहा था कि जापानी रेडियो ने यह सूचना प्रसारित की कि शत्रु के तीन बमवर्षक विमान तेसो नगर के ऊपर देखे गए हैं तथा वे पश्चिम में हीरोशिमा की ओर बढ़ रहे हैं, अतः हिरोशिमा के लोग पूरी सावधानी बरतें। रेडियो ने यह सूचना दोहरानी चाही परंतु उसे दोहराया नहीं जा सका और एक भयानक धमाके से पूरा हिरोशिमा कांप उठा धमाका होने के अगले ही क्षण पूरा नगर लगभग 6000 डिग्री की गर्मी से जलने लगा एक विशेष प्रकार की भयानक आग ने कुछ क्षणों के लिए सारे शहर को अपनी चपेट में ले लिया इसके उपरांत आस-पास में कई हजार मीटर की ऊंचाई पर बादल छा कर रेडियोधर्मिता उत्सर्जित करने लगे जिसके परिणाम स्वरुप तेज हवा के साथ मुसलाधार वर्षा होने लगी परंतु इस वर्षा में पानी के स्थान पर तेजाब की तरह तरल पदार्थ बरस रहा था। यह तेजाबी वर्षा लगभग 2 घंटे तक होती रही। परिणाम स्वरुप जापान का एक अति सुंदर नगर हिरोशिमा श्मशान में तब्दील हो गया। 40,000 कोरियाई मजदूरों के साथ विस्फोट केंद्र और उसके आसपास की सभी लोग विलुप्त हो गए हैं और 45 किलोमीटर की परिधि में रहने वाले लोग बुरी तरह से घायल हो गए बहुसंख्य घायल अंधे और बहरे हो गए थे। इनमे से बहुत से लोगों की चमड़ी पूरी तरह से जल गई थी, जिस कारण वह सीखते चिल्लाते मांस के लोथड़ों की तरह बहुत दिनों तक जिंदा रहे परंतु अंत में उन्हें काल के गाल में जाना ही पड़ा। क्योंकि लगभग 80% घायलों को तमाम कोशिशों के बाद भी बचाया नहीं जा सका।हा
, इस भीषण त्रासदी की कहानी सुनाने के लिए कुछ लोग दो 3 साल तक अवश्य जीवित बचे रहे। यदि वे लोग जीवित नहीं रहते तो हमें यह कौन बताता कि उस तेजाबी वर्षा की एक-एक बूंद से शरीर में तीर जैसी चुभन महसूस होती थी और ऐसी पीड़ा होती थी जैसे शरीर से मांस नोचा जा रहा है। हिरोशिमा बम विस्फोट के ठीक तीसरे दिन क्रूर दानवों ने जापान के दूसरे नगर नागासाकी पर भी कहर बरसाया जिससे लगभग 40000 लोगों ने अपने प्राण गवाए और 25000 लोग बुरी तरह से घायल हुए। हिरोशिमा में हुई जान हानि का आकलन भी म्युनिसिपल कमेटी ने अगस्त 1986 में प्रकाशित किया था। इसके अनुसार हिरोशिमा अणु बम विस्फोट में 1,18, 661 लोगों की मौत हुई थी, 799130 लोग घायल हुए थे और 36661 लोग लापता थे। इसके अलावा यह दोनों नगर परमाणु असंतुलन के दुष्प्रभाव को लंबे समय तक झेलते रहे। उनको पूरी तरह अब भी मुफ्त नहीं कहा जा सकता। अब जापानियों ने अपने परिश्रम से हिरोशिमा की सुंदरता को नया रूप दिया है। आज यह नगर विश्व का सबसे महत्वपूर्ण शांति स्मारक भी है ।

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